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। शंकर छंद गीत (१६,१०) शरद ऋतु गुड़ की खुशबू फैल रही है, हवा में चहुँ ओर। करें शरद ऋतु का हम स्वागत, बाँधे प्रीत डोर।। माँ बुनती हाथों से स्वेटर, ...