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गुरु द्वारा है उस मनुष्य का, जो आकाश बना है . और प्रकाश को ख़ोज-खोज़कर, स्वयं प्रकाश बना है .. मानव के रग-रग में, भरती है प्रकाश गुरु वाणी. शब्द-कीर्तन से ...