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कविता ःदुनिया एक है ★★★★★★★★★ भूखंडो में बँटे हैं महादेश फिर भी दुनिया एक है... जाति अलग,रीतिरिवाज अलग सोच भी अलग... फिर भी दुनिया एक है... हम कितने मगरूर हैं अपनेआप ...