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चंद्र ग्रहण (शंकर छंद गीत 16,10 पदांत गुरु लघु) चाँद सलोना कितना प्यारा, हुआ क्यों नाराज। गोरी के मुखड़े सा सुंदर, छुपा है सरताज।। चाँद कभी दिखता था हमको, मामा के ...