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मुसलसल होती थी हमारी बातें, याद आती है वो चांदनी रातें। अंधेरी गलियों में तेरा इंतेज़ार, कितनी हँसीं थी वो मुलाकातें। वो साथ बैठ चाँद को ताकना, वो ठंडी हवा की ...