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चांदनी सी एक रात हो खुली फिजाओं का साथ हो चांद बहता हो नदिया भीतर निहारूं उसे बैठ नदिया किनारे सोचूं गुम जाऊं कहीं आखें खोलूँ तो पाऊं सितारों सा जगमग ...