चांदनी रात

1 Part

381 times read

19 Liked

चांदनी सी एक रात हो खुली फिजाओं का साथ हो चांद बहता हो नदिया भीतर निहारूं उसे बैठ नदिया किनारे सोचूं गुम जाऊं कहीं आखें खोलूँ तो पाऊं सितारों सा जगमग ...

×