शायरी

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ना जशन मनाये गए.,,,,  ना चिराग जलाये गए,,,,  मेरी वो बेटी रो पडती है, मेरी तकलीफ पे.  जिसकी जुदाई (विदाई ) पर गीत गाए गए.  रख दू कलम मेज़ पे,,,  तो ...

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