आकर भव का भार

1 Part

179 times read

7 Liked

दोहा कान्हा तेरे धाम की, बड़ी अनोखी रीत। बहती है बृजधाम में, गलियों गलियों प्रीत।। माखन मिश्री के लगें, मिलें वहां अम्वार। हर गोपी अरु ग्वाल के, मन में बसता प्यार।। ...

×