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शीर्षक, आओ रे कान्हा हर तरफ काली कलियुग की, अंधियारी छाई है, मची त्राहित्राहि सारी सृष्टि घबराई है। लालच की बेड़ियों में जकड़े सबके तन मन, अब न बचा कहीं कोई ...