लेखनी कविता - तेरी याद

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शहरों की सड़कों ने छीन लिया सन्नाटा मुझसे मैं खाली रास्तों पर चलना चाहती हूँ...  शाम होते ही गाँव की सड़कों पर निकलती थी मैं घर लौटती चाँदनी रात लेकर...  जुगुनूओं ...

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