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मेरे शब्दों में तुम्हारी ही शक्ल झलकती है तुम्हारे सानिध्य की ललक हमेशा रहती है रुठ जाते हो जब तब भी तुम्हारे ख्वाहिश की फ़िक्र लगी रहती है चाहा है दिल ...