1 Part
311 times read
14 Liked
जब से सफर मे अकेले चलने लगा हूँ मे खुद को ही सहयात्री समझने लगा हूँ सफर भी अब तन्हा सा नहीं लगता हे मुझे मे भी अब खिड़कियों के पास ...