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बड़े मसगूल रहते हैं, कभी फुर्सत नहीं मिलती। हमारे बाबरे दिल के लिए, राहत नहीं मिलती।। करीब आने की चाहत है, अभी दीदार बांकी है। न जाने क्यों जमाने में,कोई चाहत ...