एक छोटी ग़ज़ल

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एक छोटी ग़ज़ल ========== कोई मेरे सिवा उसका निशां पा ही नहीं सकता,  कोई उस क़ातिलाने - नाज़ तक जा ही नहीं सकता !  अदायें ले के आई है वो फ़ितरत ...

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