कुछ और होती

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कहां रह गए अब भी तुम ? कमियां ढूंढते दूसरों की ! भीतर झांक लिया होता तो बात कुछ और होती !! बुराइयां करके तूने रसहीन बना दी ज़िन्दगी खुद की ...

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