सड़क -15-Nov-2022

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कविता -सड़क दो किनारों से बनी हां ईंट पत्थर भी घनी मुड़ दाएं बाएं कभी सुदूर तक है वह चली भीड़ देखा है पथिक का मन में है मंजिल कही का ...

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