लेखनी कविता - क्षमादान

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मेरे घर का एक कोना मेरे बगैर सदैव प्रसन्न रहा हैं...  ख़ुद की याद में मैंने कभी किसी के चेहरे पर उदासी की रेखा नहीं पाई...  मेरे ना होने का दुःख ...

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