लेखनी कविता - क्षमादान

1 Part

490 times read

12 Liked

मेरे घर का एक कोना मेरे बगैर सदैव प्रसन्न रहा हैं...  ख़ुद की याद में मैंने कभी किसी के चेहरे पर उदासी की रेखा नहीं पाई...  मेरे ना होने का दुःख ...

×