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कविता ः उस आइने में.... ★★★★★★★★★★★ उस आइने में ही... ढूढती मैं खुद को ही... अपने ही अक्स पर कभी हँसती कभी झल्लाती खुद को बना संवारकर इठलाती वह साक्षी है ...