बेटियां

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कविता = ( बेटियां ) मुझको न कुछ ख़बर हुई   लाडो मेरी कब बड़ी हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई ...

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