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*गृहलक्ष्मी* नारी सदैव नदी समान निर्मल है । निश्छल उसका स्वभाव है........। माँ बहन पत्नि रूप निभाती है ..। दुख सुख में वह मुस्कराती है.....। नारी में अनेक रूप समाहित है....। ...