लेखनी प्रतियोगिता -18-Nov-2022

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 आशिर्वाद आशिर्वाद की बन वो मूर्त माथा चूम  मेरे बालों में हाथ फिरा मुस्कुराते लवों से  पूरा जहां मेरे लिए मांगती वो मेरी मां,  जाने आज कहां गुम हो चली है। ...

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