दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय तुम्हे दर्द कहां से दिखाऊं कन्हैया

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मिला दर्द मुझको दिखाऊं कहां मैं। विरह वेदना दिल,  सुनाऊं कहां मैं।  अंधेरे  तुम्हें  रास  आते  नही  अब, चमक चांदनी कि दिखाऊं कहां मै।  महकते नही बाग तुम बिन हमारे, सुगंधित ...

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