लेखनी - वरदान

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वरदान.. जितना तुमने सब की नजरों से गिराना चाहा हमें, उतना ही अपनी नजरों में उठते चले गए हम, तुम्हे लगा था कि अकेले, बिखर जाएंगे हम, मगर इस अकेलेपन से, ...

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