लेखनी कविता - कलम का जादू

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मैं सोचती हूं कि  क्या करूं  क्या  तेरे नाम अपना जहां करूँ...   के जब जाऊँ इस दुनिया से  तेरी याद में ही रह जाऊं....  जिंदगी दे दूं क्या  या मौत से ...

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