रिश्तों के भंवर

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जिंदगी में  आकर कितने  मंजर चले  गये  प्यास चाहतो की  न बुझी ख्वाहिशों के ,  कितने समन्दर  चले  गए।  सबको जहां  सब कुछ  होता  नहीं  नसीब दौलत के  साथ  भी  है  ...

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