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तू अपने कर्तव्य पथ पर रहना अड़िग, तू वीर तू महावीर तूही अपना यौथिक। विशाल समुंदर भी कुछ नहीं तेरे आगे, तू आगे बढ़ता जा बढ़ता जा ओ पथिक।। ये मार्ग ...