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विषय - पथिक विधा - कविता नाम - ज़ुबैर खांन प्रितियोंगिता जान जानें जानें मन मेरी रहगुज़र कहीं मर न जाये ये सोचकर तुमसे होना हैं हमें जुदा मिल रहें हों ...