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*खाटी बइण घणी रसीली* कयरी थारो कां को रूप वखाणु, तू काची छे तो खाटी बट्ट, आनs पाकs तो मिट्ठो रस खाणु। कोईं नs दियो लुंजी खs वघार, कोईं न ...