लेखनी कविता -23-Nov-2022

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अभिलाषा मेरे मन की है यही अभिलाषा फूल गुलाब सा जीवन हो सारा काँटों संग घिरा रहता डाली पर मुस्कराता मानव का चहता बन  अपनी सुगंध से मन मुग्ध करता लाल ...

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