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देखो बाज़ार मुस्कुरा रहा है सुना कोई त्यौहार आ रहा है मुरझाये पंखों को ख़िज़ाब ब्याज़ के अंकों का हिसाब डूबे हुए कन्धों पर रिवाज़ मरी हुई उमंगों को गुलाब देखो ...