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पर्यावरण पर कविता- छुईमुई एक बार की बात लगाया उस पौधे पर हाथ लजाई दूल्हन मानो रात पूछा कैसा शरम हयात मैंने क्या कर दी तेरे साथ? शहमी ठहरी थी कुछ ...