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घटता है सब कुछ,पर घटता नहीं है दिखता है सब ,फर्क पड़ता नहीं है बिकता है बस्ता, सरेआम जहाँ भर हाजी यहाँ सब, कोई सज़दा नहीं है बिखरीं किताबे ,हर्फ़ उलझे ...