1 Part
234 times read
11 Liked
जो कभी छुई-मुई हुआ करती थी बात बात पर मन ही मन घुटती थी घर में ही भेदभाव का शिकार थी फालतू सामान की तरह बेकार थी "गृहलक्ष्मी" थी पर अधिकारों ...