वतन

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हर करम अपना करेगे ,ए वतन तेरे लिए इस ज़िन्दगी को एक बार नही सौ बार कुर्बान करेगे तेरे लिए अपने जिस्म के एक एक कतरे को बहेंगे तुझ पर आंच ...

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