लेखनी प्रतियोगिता -29-Nov-2022

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झुकी पलकें मन मेरा भारी है  झुकी पलकें है और आसमान भीग कर काली चादर ओढ़े अपना मुख छुपाए मेरे  वजूद से मुख मोड़ कर  खड़ा हो आज किसी  ओर की ...

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