चाह करते जा रहे हैं

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गीत जो निरर्थक है हम उसकी, चाह करते जा रहे हैं। सार्थकता की कहां, परवाह करते जा रहे हैं।। आधुनिक युग में सभी को, प्रिय सभी से अर्थ लगता। बैठ कर ...

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