लेखनी प्रतियोगिता -30-Nov-2022

1 Part

335 times read

14 Liked

जीवन साथी साथ की बहार चली है बुझी है  जब शाम तन का साथ मांगें  अब हर शाम, लिपटी हैं ओढ़नी  बन कर मेरा कवच कौन जाने  आज‌ लाज उड़ी है ...

×