लेखनी प्रतियोगिता -30-Nov-2022

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जीवन साथी साथ की बहार चली है बुझी है  जब शाम तन का साथ मांगें  अब हर शाम, लिपटी हैं ओढ़नी  बन कर मेरा कवच कौन जाने  आज‌ लाज उड़ी है ...

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