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कविता ःमेरा साया ★★★★★★★★ खुशियों भरी रौशनी की चाहत थी अंधेरों ने दामन भर दिया कहने को तो हजारों थे,अपने पर साथ मेरे अश्कों ने दिया रो लेती थी मैं सिर ...