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जिसमें टूट नही पाया धनुष वो स्वयंवर हूँ मैं होकर भी, न होने वाला शून्य अम्बर हूँ तुम हो जनवरी सा खुशनुमा नया महीना मैं शर्दीला दर्द में गुजरा उदास दिसंबर ...