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कायदे में अब मुझे नहीं रहना है उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है खोलकर दरीचे उड़ने लगी हूं उमंगों के सपने बुनने लगी हूं कंवल जैसी खिलने लगी हूं स्वतंत्र अस्तित्व ...