1 Part
246 times read
10 Liked
कायदे में अब मुझे नहीं रहना है उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है खोलकर दरीचे उड़ने लगी हूं उमंगों के सपने बुनने लगी हूं कंवल जैसी खिलने लगी हूं स्वतंत्र अस्तित्व ...