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दोहा -कलयुग का संसार चिंता करो न देख कर,अजब गजब व्यवहार। घबड़ाओ ना सोंच यह,कलयुग का संसार।। रिश्तों की ना रीति अब,बचा रहा कुछ शेष। कलयुग के संसार में, बदला कैसा ...