मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग

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कितने भी छाले पड़े पैरों में मगर सफर में ठहराव ना माँग ज़मी को कदमों से कुचल दे मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग तैर कर ही दरिया पर कर  डूब ...

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