लेखनी कविता -07-Dec-2022

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 *धरती की करह* सुख-दुख और बलिदानों  की चादर ओढ़े धरा। कितनी सुन्दर अनुपम  धरती माँ करती खुद की चिंता ।। करवट बदलती ,करह कर कहती,  हो रहा मेरा संहार पावन धरा ...

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