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मनहरण घनाक्षरी जब से मिला है साथ, लेखिनी ने थामा हाथ, रचनाओं के लिए भी, जीत बनी लेखिनी। धर्मवाद जातिवाद, का नहीं कभी विवाद, एकता से भरी हुई, नीत बनी लेखिनी।। ...