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मैं फूल नहीं कागज़ का ना मैं खिलूंगा, ना महकूंगा। ये मेरी मर्जी है, अपनी ख्वाहिश है मैं कांटा हूं, कांटा ही रहूंगा। मैं चुभूंगा, दर्द दूंगा मगर किसी की हिफाज़त ...