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साथी का क्या स्वरूप होना चाहिए! कभी छांव सा कोमल,कभी कड़कती धूप होना चाहिए ! कभी नील सा अंबर, कभी बेरंग सा नीर होना चाहिए ! कभी गरजता बादल सा, कभी ...